Pitradosh Pooja

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This is performed by a person born under the ninth house where Sun and Rahu combine. If someone’s ancestors have not attained peace due to religious rituals at the time of death then this Dosha develops in the horoscope of the person.

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Description

पितृदोष कारण एवं निवारण

॥ यावत मासस्य श्रृतो गर्भः  तावत् दिवस सूतकम् ॥

जितने माह का गर्भ पात हो उतने दिन का सूतक होता है , वर्तमान मे ऐसा लोग बहुत ही कम करते है फलस्वरुप ,प्रेतरूपी पितरो की वृद्धि होती जा रही है । श्राद्ध व्यवस्थित ढंग से नही होने के कारण भी उनका प्रेतत्व से मुक्ति नही हो पाती जिस प्रेत की 3 खोडशी नही होती , उनकी भी प्रेत से मुक्ति नही होती ,फलस्वरुप वे पितर नही हो पाते है ।

पितरो की विस्मृति या अपमान अथवा धर्मविरुद्ध आचरन करने से पितृदोष होता है ।

पितृदोष से हानि :-

संतान ना होना, संतान हो तो विकलांग, मंदबुद्धि, चरित्रहीन अथवा ,होकर मर जाना, नौकरी, व्यवसाय में हानि बरकत न हो, परिवार में एकता न हो, अशांति हो,
घर के सदस्यों में एक या अधिक लोगों का अस्वस्थ होना, इलाज होने पर ठीक न होना, मांगलिक कार्य में विघ्न होना आदि तरह की समस्या आती है।

पितृदोष शान्ति के लिए शास्त्र में उपाय बताऐ गए हैं ।

1)नारायण बलि

2) त्रिपिण्डी श्राद्ध

नारायण बलि मे 5 ब्राह्मण लगते है ।

इसमे 1व्यक्ति का कराने मे 25,000 लगता है ।

त्रिपिण्डी श्राद्ध 3 ब्राह्मण लगते है ।

इसमे 1 व्यक्ति का कराने मे  21,000 लगता है ।

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Narayan Bali Puja, Tripindi shradh Puja