Description
महामृत्युञ्जय जप का माहात्म्य
मृत्युञ्जय महादेव त्राहि मां शरणागतम् ।
जन्म मृत्यु जरा रोगैः पीड़ितम कर्म बन्धनैः ॥
अर्थ – मृत्युञ्जय की शरण मे जाने से बार-बार जन्म का भय, मृत्यु (अकाल मृत्यु ) का भय ,
रोग से व्यथित होने का भय तथा कर्म बन्धन का निवारन भी भगवान शङ्कर जी की शरण मे जाने से हो सकता है ।
मंत्र महामणि विषय स्याल के ।
मेटहि कठिन कुम्भक भाल के ॥
ब्रह्म लेख को भी मिटाने की शक्ति भगवान शङ्कर मे है ।
महामृत्युञ्जय जैसा नाम से ही प्रतीत होता है मृत्यु पर जय इसके मुख्य देवता भगवान शङ्कर जी है ,
उन्ही के द्वारा शुक्राचार्य जी को प्राप्त हुआ , जिसे संजीवनी विद्या कहते है ।
मार्कण्डेय जी को भगवान शङ्कर जी ने स्वयं अपनी आयु देकर रक्षा की है ।
इसके प्रणेता- भगवान शङ्कर , वशिष्ठ, शुक्राचार्य, मार्कण्डेय जी आदि है ।
दो से अधिक ग्रहअरिष्ट होने पर , मारकेश आदि की दशा या किसी भी प्रकार अनिष्ट होने की आशंका पर महामृत्युञ्जय का जप कराना चाहिये ।
महामृत्युञ्जय का जप सवा लाख करना चाहिये , इसमे सात ब्राह्मण लगते है ,सात दिन मे इसे पूरा किया जाता है ।
इसमे खर्च लगभग 1,11,000 तक लगता है ।